कवितायेँ
मेरे इस ब्लॉग पर मेरी कविताओं का संकलन है जिसे इस लिंक पर जा कर देखा जा सकता है।
http://kavita-ratnakar.blogspot.in/
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मेरी कविता
-डॉ.लाल रत्नाकर
मैंने कवि होने का
मन जरूर बनाया है
पर मेरी कवितायें परी लोक की
कवितायें नहीं होंगी
यह मैंने निश्चित किया है
मेरे इस रचना संसार में
समाज की सुंदरता के साथ
उसकी विद्रूपता और कुटिलता भी होगी
पर पक्का है कि विद्वतनुमा
समाज के ठेकेदार इन्हें
हो सकता है कविता ही
न होने का फरमान दे दें
या तो वो ये कह दें की जो इन्हें सुनेगा
उसके कानों में शीशे को पिघला कर और
उसके टुकड़ों को नुकीला करके डाला जाएगा
हो सकता है कुछ लोग भयभीत भी हो जाएँ
मेरी कविता से और न सुने पर
वही सबसे ज्यादा व्याकुल होकर
मेरी कविताओं का मंथन कर रहे होंगें
लेकिन वो जिनके लिए मैं ये कवितायें लिख रहा हूँ
वो कहीं परी लोक के गीत गुन रहे होंगे।
प्रोफ उदय प्रताप सिंह जी की एक कविता जिसमे आवाहन है नए भारत का -
यह भी तो हो सकता है
अगली नस्लें सच पहचाने
यह भी तो हो सकता है
कोई धर्म और जाति न माने
यह भी तो हो सकता है
हिन्दू मुस्लिम,सिख ईसाई
सब नक़ली बटवारे हैं
हर मानव को मानव जाने
यह भी तो हो सकता है
नफ़रत वाले चाल चलन के
बुरे नतीजे देख लिए
प्यार के दुनियाँ लगें बसाने
यह भी तो हो सकता है
एक दूजे का हाथ बटाकर
हर मुश्किल आसान करें
तोड़ दें सब झूठे पैमाने
यह भी तो हो सकता है
सारे बंचित पीड़ित मिलकर
अपनी ताक़त को पहचाने
फिर सिंहासन लगें हिलाने
ऐसा भी हो सकता है
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